(31 марта 2015) पोटा की तर्ज पर आतंक के खिलाफ गुजरात सरकार ने GCTOC यानी
बिल को आज विधानसभा में पास कर दिया। विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने विधानसभा से वॉकआउट किया।
आतंक निरोधी क़ानून है। गुजरात सरकार पहले भी इस कानून को लागू करने की कोशिश कर चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए इस कानून को 2003 में पेश किया था। नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री रहते पहली बार 2003 में गुजरात सरकार ने इसे गुजरात कंट्रोल ऑफ़ ऑर्गनाइज़ड क्राइम बिल के तौर पर पेश किया था। उस वक़्त केंद्र में एनडीए की सरकार थी। लेकिन तब भी इसके कुछ प्रावधानों को लेकर विवाद था।
2009 में पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने बिल की कड़ी धाराओं में बदलाव करने के सुझाव दिए थे और इसे वापस लौटा दिया गया था। इस बिल की कई धाराएं हटाए जा चुके कानून POTA से मिलता-जुलता है। इस कानून में प्रावधान है कि इसके तहत पकड़े गए आरोपी का सुपरिन्टेंडेंट ऑफ़ पुलिस स्तर के अधिकारी के सामने दिए बयान को बतौर सबूत कोर्ट में पेश किया जा सकता है। ये प्रावधान पहले ही रद्द कर दिए गए प्रावधान आतंकवाद विरोधी कानून पोटा जैसे हैं। पोटा के वक़्त इस प्रावधान के दुरुपयोग के कई मामले सामने आए थे। इसीलिए ये कानून रद्द किया गया था।
2009 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने ये बिल वापस करते हुए इसमें से पुलिस के सामने बयान को सबूत मानने वाले प्रावधान के साथ-साथ अधिकत्तम पुलिस रिमांड की समय-सीमा 15 दिन से बढ़ाकर 30 दिन करने के प्रावधान में भी संशोधन करने की सिफारिश करते हुए इसे दोबारा विधानसभा को भेज दिया गया था।