(13 апреля 2015) शादी में बजाए जाने वाले बैंड और डीजे की वजह से होने वाले ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ पुणे स्थित सुजल
कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी की अध्यक्ष उज्ज्वला घाणेकर ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के पुणे बेंच में इस साल जनवरी में एक याचिका दायर की थी.
इसमें बढ़ते ध्वनि प्रदूषण की वजह से शादियों में बैंड और डीजे पर रोक लगाने की माँग की गई थी.
बैंड और डीजे
घाणेकर के वकील असीम सरोदे ने बीबीसी को बताया, «ट्रिब्यूनल ने इस बात पर भी नाराज़गी जताई है कि बैंड और डीजे की आवाज़ को कम करने के लिए किसी भी सरकारी एजेंसी ने कोई पहल नहीं की. ट्रिब्यूनल ने पुलिस को आदेश दिए हैं कि इसके उल्लंघन की सूरत में कार्रवाई की जाए.»
अधिवक्ता सरोदे ने ट्रिब्यूनल को बताया कि यह समस्या केवल पुणे तक ही सीमित नहीं है बल्कि पूरे महाराष्ट्र में यही स्थिति है.
उन्होंने कहा, «हमारी दलील के समर्थन में राज्य के छह अलग-अलग शहरों से वकीलों ने ट्रिब्यूनल में हलफ़नामे दाखिल किए जिसके बाद ट्रिब्यूनल ने यह आदेश दिया.»
ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा कि डीजे का इस्तेमाल, एक विशिष्ट जगह लोगों का जमावड़ा और नाचना किसी भी धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं हो सकता.
मुंबई स्थित एक डीजे और ब्रास बैंड सर्विस के संचालक ने नाम ज़ाहिर न करने की शर्त पर बताया, «हालांकि इस फ़ैसले के बारे में अभी सरकार की ओर से हमें कोई भी अधिकृत सूचना नहीं मिली है लेकिन इसकी वजह से हमारा व्यवसाय पूरी तरह से ठप हो जायेगा. हम कानूनी सलाह लेकर इस निर्णय को चुनौती देंगे.»
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