(7 апреля 2015) आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन ने मंगलवार को
देश के तमाम बैंकों को जोरदार लताड़ लगाई। उन्होंने कहा कि रेपो रेट कम किए जाने के बावजूद इसका लाभ उपभोक्ताओं को नहीं मिल रहा है। उन्होंने खासतौर पर सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई और निजी बैंक आईसीआईसीआई का नाम लेते हुए कहा कि दोनों ही बैंकों ने लोगों तक दरों में कटौती का लाभ नहीं पहुंचाया।
उन्होंने बैंकों द्वारा दिए जा रहे खर्चे में कमी नहीं आने के तर्क को भी बेवकूफाना करार दिया। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राजन ने ये बातें कहीं।
उन्होंने कहा कि जब भी बैंकों को अपनी ब्याज दरें बढ़ानी होती हैं तब वे आरबीआई की ऊंची ब्याज दरों का बहाना लेते हैं। अब जब आरबीआई ने ब्याज दरें कम की हैं, तब बैंक दरें कम क्यों नहीं कर रहे?
बता दें कि जनवरी से मार्च के बीच आरबीआई ने रेपो रेट में 0.5 प्रतिशत की कमी करते हुए इसे 7.5 प्रतिशत पर ला दिया था। जानकारी के लिए बता दें कि रेपो रेट वह दर है, जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है।
ब्याज दरों में कटौती की वकालत करते हुए राजन ने कहा कि जितना जल्दी बैंक रेट को कम करेंगे उतनी ही जल्दी देश की अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।
बता दें कि आज आरबीआई ने मौद्रिक समीक्षा नीति की घोषणा में प्रमुख दरों में कोई बदलाव नहीं किया। राजन ने कहा कि आरबीआई दरों में और बदलाव से पहले देश में फसल के नुकसान और मानसून के बारे में जानकारी की प्रतीक्षा कर रहा है।
कई जानकारों का मानना है कि अर्थव्यवस्था में तेजी के लिए बेस रेट में कमी करने की जरूरत है। इस रेट में कमी करे से होम लोन, ऑटो लोन सस्ते होंगे और उपभोक्ताओं में मांग बढ़ेगी। फिलहाल यह रेट डबल डिजिट में है।