(31 марта 2015) सुप्रीम कोर्ट ने उन जाट छात्रों को राहत देने से इनकार कर दिया है जिन्होंने पीजी की परीक्षा
में कोटे के तहत आवेदन किया था। इन छात्रों का कहना था कि जब उन्होंने पीजी के लिए आवेदन दिया था तब वो कोटे में आते थे लेकिन अब वो जनरल कोटे में हैं। लिहाजा इस बार उन्हें OBC कोटे में ही एडमिशन की इजाज़त दी जाए।
लेकिन कोर्ट का कहना था कि संविधान सिर्फ सामाजिक रूप से पिछड़ों को ही आरक्षण देता है। जबकि छात्र आर्थिक रूप से पिछड़े की बात कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपको ओबीसी कोटा में एडमिशन का कोई अधिकार नहीं है।
अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चूंकि वो इस मामले पर पहले ही अपना फैसला दे चुके हैं इसलिए अब इस विषय पर किसी भी तरह के तर्क-वितर्क की गुंजाईश नहीं है और इस संबंध में दी गई याचिका ख़ारिज की जाती है।
जाट आरक्षण मुद्दे पर छात्रों की याचिका पर फैसला सुनाते हुए SC ने कहा कि, ‘संविधान सिर्फ़ सामाजिक तौर पर पिछड़े वर्ग को ही आरक्षण देता है न कि आर्थिक तौर पर पिछड़े वर्ग को।’ चूंकि ये छात्र सामाजिक नहीं बल्कि आर्थिक तौर पर पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण की मांग कर रहे थे इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने इनकी मांग को ठुकरा दिया।
SC ने अपना फ़ैसला सुनाते हुए कहा, ‘पीजी एडमिशन में ओबीसी कोटा के तहत़ राहत नहीं दी जा सकती है। मेडिकल के इन छात्रों ने OBC कोटा के तहत पीजी कोर्सेज़ में एडमिशन के लिए अप्लाई किया था। छात्र चाहते थे कि उन्हें OBC कोटा से एडमिशन मिले क्योंकि उन्होंने अप्लाई OBC कोटा में रहते हुए किया था, लेकिन जाट आरक्षण पर SC का फ़ैसला आने के बाद ये छात्र OBC से जनरल कैटेगरी में आ गए हैं।